भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
साच (2) / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:04, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=लीकल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
कोनी सूझै
आंगळ स्यूं
आघो
पण बांधै
मिनख
पीढयां तांई रा
बंधाण
ईण स्यूं तो
बै पंखेरू स्याणा
जका चुग्यां पछै दाणा
कोनी करै
आज’र काल में
बगत रा टुकड़ा
रवै
बां री
ऊजळी दीठ में
सासती
खिण री साच !