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समतोल / कन्हैया लाल सेठिया
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ले’र
समदर री
अणगणित लैरां स्यूं
अंसदान
रचै सूरज
अमरित स्यूं भरोडया बादळ
जका बरस’र
पाछो दे दवै लैरां रो दायभाग
आ है सिसटी रै समतोल रो
परतख परमाण
राखै सिरजण’र बिसरजण
आखै बिरमांड नै गतिमान !