भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विदा / सेरजिओ बदिल्ला / रति सक्सेना
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:04, 2 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सेरजिओ बदिल्ला |अनुवादक=रति सक्स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
अपनी अनुपस्थिति के सामान के साथ मेरी माँ अनेक शिकायतों के बीच
पत्थरों वाले शांत पड़ोस से बहुत दूर है
जब कि समंदर उसको अपनी चमक में पकड़े
और गोरैया एवन्यु में पिट्सपोरम के दरख्तों पर मंडरायें
वहाँ दुस्वप्न के सिद्धांत और संदेह है
जब रातें उड़तीं हैं परछाइयों के बीच
भोर की समतल जमीन की राह में