भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सबद-दोय / राजेश कुमार व्यास
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:11, 3 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश कुमार व्यास |संग्रह= }} {{KKCatRajastha...' के साथ नया पन्ना बनाया)
नाप लेवै सबद
अरबां-खरबां
कोसां रो आंतरो
बूर देवै
मन मांय
खुद्योड़ी
अलेखूं खायां।
घणकरी बार
सुळझाय देवै
अंतस मांय
उळझ्योड़ा
हजारूं-हजार
गुच्छा।
सबद पुळ है
अबखै बगत रा
जीवण-जातरा रा।