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बाव बहेले पुरवइया, पुरवइया / भोजपुरी

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बाव बहेले पुरवइया, पुरवइया, मोरे लेखे बैरन भये।
हाँ रे, पियवा का आवे सुखवा के नीनियाँ, कि जगवतो नाहीं जागेला रे।।१।।
हां रे, भोर भइले भिनुसारे-भिनुसारे, कि केकही चिरइया बोली बोले।
उठु मोरे नायक खोलहू बरधवा, कि हम धनि पानी के रे जाय।।२।।
हाँ रे साकट कुइयाँ, पताल बसे पनियाँ,
कि करवा गिरेले मंझा धार, बेदना पड़े उबहन रे।।३।।
घोड़वा चढ़ल अइले राजा दलमल के ललना पिआसल रे।
आरे छाक एक पनिया पिआवहु, हियरा जुड़ा देहु रे।।४।।
हाँ रे, झाँझर-माँझर मोरे अँजुरि, पनिया ढ़रिए ढ़रि जाय
हाँ रे, नाहीं तू छैला पानी के पियासल, वेदना निरेखेल रे।।५।।