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झरोखा के ओलते हेरे रानी हेमवंती / भोजपुरी
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झरोखा के ओलते हेरे रानी हेमवंती
कि हो पियवा सरीखे हो देखो जोगी परदेसिया।।१।।
बहिनी लेले दउरेले चनन पीढ़ई, आहो रामा चनन के रे पीढ़ई;
कि हो चील्हिया सरीखे रे ए दइबा, झपटे रानी हेमवंती।।२।।
हाँ रे, परदेस गइल, हाँ रे पर-घर रे सोवल
कि हो रे, साँची हो पूछिले दइबा, दिलकर बतिया।।३।।
हाँ रे, परदेस गइलीं धनी हो, पर-घर रे सोवलीं;
कि हो रे, साँची कहते धनि दिलकर बतिया।।४।।
हाँ रे, घर से बाहर भइले, हाँ रे कोंहरा रे अभागा;
कि हो रे, बटिया हो दुबटिया में रोवेला रे फकीरवा।।५।।
हाँ रे, असहर तेजलीं रे बँसहर रे तेजलीं, हाँ रे बँसहर तेजलीं;
हाँ रे, परेया तिरियवा ए लाई भइलों रे फकीरवा।।६।।