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कि सखि रे, कहाँ बिलमछ गिरधारी / भोजपुरी

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कि सखि रे, कहाँ बिलमछ गिरधारी, साँझ भये नहिं आये मुरारी।।१।।
कि खोजन चलले मातु जसोदा, घर-घर करत पूछाई हे,
कारन कवन नाथ नहिं आये, सखि रे कंसा के डर भारी।।२।।
हाँ रे, झुंड-झुंड सखी सब आये, पारे जसोदा के गारी।
बरिजहु जसोदा जे अपने लाल के, कि सखि रे, सखियन के चोली फारी।।३।।
रोअत-कानत आवे मनमोहन, नयना से नीर बहाई,
झोरि लिये मोरा मटुक पीताम्बर, सब सखियन मिली मारी।।४।।