भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ए सोने फूले धनि राउर कोखी / भोजपुरी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:45, 24 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=थरुहट के ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
ए सोने फूले धनि राउर कोखी,
जाही कोखी बेटा जनमे, बेटा से पतोहिया आइल हो।।१।।
ए सोने फूल फूले धनि राउर कोखे
जाही कोखे बेटी जनमे, बेटी से बँसहर सूने रे।।२।।
ए साठ रुपइया बल हारब, धिया नाहीं हारब ए।।३।।
ध्यिा लेइ जइबों अगमपुर, अउरो सजपुर हे
धिया लेइ खिलबों पाताल, जहाँ रे धिया बाँचेली ए।।४।।
जनि आमा जाहु अगमपुर, जनि जाहु सजनपुर ए
जनि आमा खिलहु पाताले, बाबा बोला अनिहें ए।।५।।