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इन दिनों... / अनुलता राज नायर
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1.
इन दिनों,
सांझ ढले,आसमान से
परिंदों का जाना
और तारों का आना
अच्छा नहीं लगता
गति से स्थिर हो जाना सा
अच्छा नहीं लगता...
2.
इन दिनों,
कुछ दिनों में
बीत गए कितने दिन
मानों
ढलें हो
कई कई सूरज
हर एक शाम...
3.
इन दिनों
दहका पलाश
दर्द देता है...
भरमाता है
इसका चटकीला रंग
जीवन की झूठी तसल्ली देता सा...
4.
इन दिनों,
तितलियाँ नहीं करतीं
इधर का रुख...
न रंग है न महक है
इधर इन दिनों...
5.
इन दिनों,
ज़िन्दगी के हर्फ़
उल्टे दिखाई देते हैं
तकदीर आइना दिखा गयी है
ज़िन्दगी को इन दिनों!!
6.
इन दिनों,
चुन रही हूँ कांटे
जो चुभे थे तलवों पर
तुम तक आते आते...
तुम्हारे ख़याल से परे
रख रही हूँ अपना ख़याल
इन दिनों...