भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नव किशोर नटवर मुरलीधर मधुर मयूर / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:14, 6 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नव किशोर नटवर मुरलीधर मधुर मयूर-मुकुटधर लाल।
कटि पट पीत, करधनी कूजित, कुटिल भ्रुकुटि, मधु नयन विशाल॥
अतुलनीय सौन्दर्य-निकेतन, द्विभुज, कण्ठ मणि-मुक्ता-माल।
गोल कपोल अरुण नीलाभायुत, गोरोचन-तिलक सुभाल॥
भूषण-भूषण अंग ललित अति, तन त्रिभङङ्ग सुषमा-‌आगार।
मुख शरदिन्दु-सुभग, सुषमा-निधि, राधा-तन-मन-सुख-‌आधार॥
देख रूप निज हु‌ए चमत्कृत मोहन मन्मथ-मन्मथ श्याम।
जाग उठा तुरंत मनमें शुचि निज सौन्दर्यास्वादन-काम॥