भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
राधा-माधव माधव-राधा छाये / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:24, 6 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
राधा-माधव माधव-राधा छाये देश-काल सब ओर।
नाच रही राधा मतवाली, मुरली टेर रहे मन-चोर॥
देखो, सुनो सदा सबमें सर्वत्र भरे दोनों रस-धाम।
मधुर मनोहर मूरति, मुरली-ध्वनि बरसाती सुधा ललाम॥
लीला-लीलामय ही है सब, लीला-लीलामय सर्वत्र।
लीला-लीलामय ही रहते, करते लीला विविध विचित्र॥
नित्य मधुर दर्शन, सभाषण, स्पर्श मधुर नित नूतन भाव।
नित नव मिलन, नित्य मिलनेच्छा, नित नव रस आस्वादन चाव॥