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मिले श्याम-श्यामा दोनों तब उमड़ा अतिशय प्रेम / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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मिले श्याम-श्यामा दोनों तब उमड़ा अतिशय प्रेम।
मरकत मणिसे लिपटा जैसे-रसमय उज्ज्वल हेम॥
कनकलतासे घिरा मनोहर मानो तरुण तमाल।
नव-जलधरसे मानो बिजली स्वर्णिम मिली रसाल॥
मानो हु‌आ सरस सरसिजका मधुकरसे मधु संग।
अति आनन्दित दोनों ही, तन पुलकित प्रेम-तरंग॥
दोनों ही दोनोंको करते प्रेम-रसामृत-दान।
एक हो रहे थे दो, अब फिर एक हु‌ए मतिमान॥