भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बजावत मुरली मीठी तान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:00, 6 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
बजावत मुरली मीठी तान।
ठाढ़े बालरूप मन-मोहन मोहन मधु रस खान॥
कान उठाये सुनत चकित-मन हर्षित बत्स महान।
सिखि सुस्थिर सर्वांग सुनत सुर करत दिव्य रस पान॥
मुख-छबि मनहर सरल सुशोभित अरुन अधर हर मान।
नयन विशाल चमत्कारी अति, खींचत बरबस प्रान॥
कुंचित कच, सिर रतन-मुकुट, सिखि-पिच्छ, सुकुण्डल कान।
कर कंकन, कटि करधनि, कूजत नूपुर, कल कल गान॥
हेरत हरत सहज मुनि-जन-मन, करत प्रेम निज दान।
टूटत सकल बंध मायाके, मेटत मोह महान॥