Last modified on 28 जनवरी 2014, at 20:30

पुकार / रेखा चमोली

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:30, 28 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा चमोली |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक अनाम नदी
बादलों के पास सागर का संदेशा पाकर
दौड़ती चली आई
पर्वतों, घाटियों, जंगलों, बस्तियों को
लाँघती, फलाँगती
कोई अवरोध उसे रोक नहीं पाया
सागर के पास आने से

पास आकर देखा
सागर उत्साह से हिलोरे मार रहा था
पर यह उत्साह सारी नदियों के लिए
एक समान था
नदी सागर में मिलकर अपना मीठापन खो चुकी थी
सागर नदी को खुद में समाकर बेहद प्रसन्न था
उसकी बाँहें फैली हुई थीं
बाकि सारी नदियों के इंतजार में
बादल उसके संदेशे लिए आ जा रहे थे।