हर बार मैं ही क्यूँ
बनूँ धरती
और तुम आसमान
हर बार में ही क्यूँ
बनूँ मीरा
और तुम कृष्ण
हर बार मैं ही क्यूँ
सबसे पहले उठकर
सबसे बाद में सोऊँ
हर बार मैं ही क्यूँ
बदल डालूँ खुद को
तुम्हारे लिए
हर बार मैं ही क्यूँ?
हर बार मैं ही क्यूँ
बनूँ धरती
और तुम आसमान
हर बार में ही क्यूँ
बनूँ मीरा
और तुम कृष्ण
हर बार मैं ही क्यूँ
सबसे पहले उठकर
सबसे बाद में सोऊँ
हर बार मैं ही क्यूँ
बदल डालूँ खुद को
तुम्हारे लिए
हर बार मैं ही क्यूँ?