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जिंदगी के चौराहे पर / उमा अर्पिता
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जिंदगी के चौराहे पर
हजारों व्यक्तित्व
शेषनाग-से फन उठाये
डसने को
तैयार खड़े हैं
और मैं इसी चौराहे पर
अपने जीवन का
मार्ग खोज रही हूँ,
यह जानते हुए, कि
इन फनों के
सर्पिल संवेदन से
बच नहीं पाऊँगी
फिर भी--
एक विश्वास है, जो
संजीवनी-सा
अमरत्व का
वरदान दे जाता है।