भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खबर / विमलेश त्रिपाठी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:17, 18 फ़रवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विमलेश त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक सुस्त-सी रात में
सन्नाटा घर की बूढ़ी चारदिवारी के भीतर
जोर-जोर से खाँस रहा था

बाहर दुद्धिया दानों की नमी
पाले की मार से काली हो रही थी

दूसरे दिन सुबह
नहीं हुई सुबह की तरह
सूरज की तरह नहीं उगा सूरज

यह खबर घर की चारदिवारी से खेत
और खेत से पूरे इलाके में फैल गयी

सभी लोग अचम्भे में थे
कि इतनी बड़ी खबर की तस्वीर
गाँव की इकलौती टी.वी. पर
किसी को भी नजर नहीं आयी