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मणिद्वीपक महरानी / कालीकान्त झा ‘बूच’
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अयली जगदम्बा दुर्गा देवी कल्याणी अय,
मणिद्वीपक महरानी अय!
नाऽ ऽ ऽ।
सध्यः सुधा सिन्धु स्नात, मांजल गंगा जल सँ गात,
सेवक खातिर तजलनि नवरतनक रजधानी अय,
मणिद्वीपक...
टपि कऽ अट्ठारह प्राकार देवी भऽ गेली साकार
सभकेॅ सुना रहलि छथि अप्पन अभयावाणी अय,
मणिद्वीपक...
हरि पीताम्बर सँ पद झारथि,
विधि सुरसरि सँ चरण पखारथि,
तरबा रगड़ि रहल छथि, रहि - रहि शंकर ज्ञानी अय,
मणिद्वीपक...
महिषासुरक आव की डऽर, माता छाड़ू सिंहक भऽर,
लोके राच्छस भऽ कऽ कऽ रहलै मनमानी अय,
मणिद्वीपक...