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विन्यास / जयप्रकाश कर्दम
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किसी को रोटी की भूख है
किसी को पानी की प्यास है
किसी को धन की लालसा है
किसी को तन की प्यास है
हर किसी को कोई न कोई भूख है,
कोई न कोई प्यास है
किसी को किसी की आस है
किसी को किसी की तलाश है
कोई किसी से दूर है
कोई किसी के पास है
कोई स्वामी है कोई दास है
कोई हर्षित है कोई उदास है
कोई हांफती सी सांस है
कोई महज जिंदा लाश है
चाहे जैसे परिभाषित करो
चाहे जो नाम दो
जिंदगी केवल प्यास है
प्यास का विन्यास है।