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कामिनी का गात / जयप्रकाश कर्दम

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एक मीठी बात हूं मैं
कामिनी का गात हूं मैं
वेदना का ताप हूं मैं
हर्ष का उन्माद हूं मैं
छेड़ दे वीणा हृदय की
एक सुरीली राग हूं मैं।
कामिनी का गात हूं मैं।

एक मधुर अवसाद हूं मैं
विरह का आह्लाद हूं मैं
बसा दूं दुनियां अकेली
नशीला जज्बात हूं मैं।
कामिनी का गात हूं मैं।

श्मशानों को महका दूं मैं
पाषाणों को पिघला दूं मैं
खाक पल भर में बना दूं
प्रलय की एक रात हूं मैं।
कामिनी का गात हूं मैं।

मधु भी हूं गरल मैं हूं
कठिन भी हूं सरल मैं हूं
उत्कर्ष का आयाम भी मैं
एक संचित ह्रास हूं मैं।
कामिनी का गात हूं मैं।