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से कहलक छोटू / मन्त्रेश्वर झा

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ब्राह्मण भऽ गेल ए
दस सालक छोटू
छठुआ चम्हार सँ भऽ गेल ए छोटू लाल
करैए आब ब्राह्मण जकाँ जकाँ शुद्ध भोजन।
मुर्गी, अंडा, पिआजु, लहसुन सभ किछु
गाभिन गाय बेचि लेलकैए बाउ
हम रहिऐ तऽ चरबैत रहिऐ
आब मजूरी-बटेदारी करितै
कि चरबितै गे गाय
की जाने की केलकै जे रहै सात गो बकरी
चरबैत हेतै बहिन कंटिरबी
आ कि रहैत रहैते खुटेसले
से कहलक छोटू
अ, आ इ, ई से क ख ग तक पढ़लकै छोटू
तकरा बाद पढ़ाइ भऽ गेलै बन्द
पढ़ितै लिखितै तऽ के देखितै
घर आंगन, गाय बकरी
जहाँ ने टेलहक भेलै
कि निकलि गेलै जेठका भाइ
चल गेलै पैंजाब
आ जाइते मातर भऽ गेलै बड़का लोक
कहाँ दन खरीद लेलकैए एगो साइकिल
एगो रेडियो आ एगो घड़ी
ओ तऽ बड़का लोक भऽ गेलैए आब
से कहलक छोटू
आ बड़के लोक जकाँ गामक
सुधि बिसरि गेलैए
दू तीन साल पर कहियो गाम
आबि जाइ छै तऽ आबि जाइ छै
आब कि एको रत्ती नीक लगै छै गाम मे ओकरा
फुलपैंट पहिरै छै छोटूक भाइ
धुक् धुक् अंगरेजिया
सिकरेट फुकै छै
बड़का लोक भऽ गेलैए छोटूक भाइ
से कहलक छोटू।
परदेश गेले सँ ने
बड़का लोक होइ छै लोक
से हमहूँ आबि गेलिऐ सरकार, डिल्ली
गारि मारि तऽ सहैए ने पड़ै छै परदेश मे
एतऽते कत्ते तरहक देखै छिऐ खेल
छुपि छुपि के टी.भी. के परोगराम
किसिम किसिम के कार
एहिठाम ने कोसिकन्हाक बाढ़ि
ने भुइकंप, ने अन्हार
भरि राति भुक् भुक् इजोत
आब की हमहूँ घुमि के
गाम जेबै थोड़े
एक बेर जे छोड़ै छै गाम
से घुरि के गाम जाइ छै अभगले
से कहलक दस सालक छोटू
ओहो आबि गेल ए दिल्ली
बनबा ले बड़का लोक।