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की छी जीवन / मन्त्रेश्वर झा

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हम नदी के पुछलिऐ
जीवन की छी नदी बहिन
नदी किछु ने बाजल
अविरल बहैत रहल
बरिसात मे अपन सीमा तोड़ि
हाहाकार मचबय लागल
गर्मी मे सुखा के छोटि भऽ गेल
बीच मे क्यो
बान्हि देलकैक तऽ
शान्त भऽ गेल
हम छगुन्ता मे अकचकाइत रहलहुँ।
हम गाछ केँ पुछलिएैक
जीवन के परिभाषा कहू
भाइ गाछ
गाछ चुप्प रहल
किछु ने बाजल
गर्मीमे बरसात मे
पथिक के हवा परसैत रहल
फुलाइत रहल
खेलाइत रहल
फुदकैत रहल फुलाइत
रहल, फरैत रहल
पतझड़ मे
सुखाइत रहल, अटल रहल
अचल रहल
मुदा किछु ने बाजल।
हम पहाड़ केँ पुछलिऐ
जीवन की छी पहाड़ भाइ
हिमालय कहलक
हम तऽ कखनो घटैत छी
कखनो बढ़ैत छी,
द्रवित होइत बहैत छी
मुदा चुप छी
बजला सँ की लाभ
चुप्पे चुप्प जीवन मे
उत्कर्ष तकै छी
निष्कर्ष ताकब की?
हम पुछलियनि भाष्कर सँ
अहाँ ई की करै छी
उगै छी प्रचंड होइत छी
डुबैत छी मरैत छी
फेर उगै छी
की यैह थिक अहाँक जीवन
की यैह जीवन थिक?
भाष्कर रहलाह चुप
तावत भऽ गेल घुप्प अन्हार
की यैह थिक जीवन?