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अस्वीकार / सुधीर सक्सेना

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मेरा गुज़ारा मुमकिन नहीं था
उसके साथ कतई नहीं
जिसके साथ मेरी आवृत्ति नहीं मिलती थी
मुझे घृणा के साथ जीना
कुबूल था
बनावटी प्रेम के साथ जीना
हर्गिज़ नहीं
मै नहीं चाहता था मरना
अपने ही घर में हर पल