पैदा हुआ होता सात साल पहले / अलेक्सान्दर कुशनेर
पैदा हुआ होता यदि मैं सात साल पहले
और ही रूप लिया होता मेरे जीवन ने।
मुझे पसंद आती कविताएँ
कुछ और ही तरह की,
मेरे उमंग भरे यौवन के भी वही वर्ष होते
जब जोरों पर था सरकारी आक्रोश
जोरों पर सभाओं का सामूहिक उत्साह
जिनसे बहुत बास आती थी सभागारों की धूल की।
मैं देखता किस तरह मेरे सामने
भाषा-विज्ञान और मुकदमेंबाजी में
जोड़ा जाता है संबंध जिसकी नैतिक अस्थिरता का
झोंक दिया जाता है सलाखों के भीतर या आग में।
यदि मैं पैदा हुआ होता सात साल पहले
जन श्रृंगालकंटक में मैं भी एक फूल होता
फूल नहीं तो काँटा होता,
नाजुक पंखों की तरह खुला रहता स्वभाव...
समय की उपज हूँ और निर्भर हूँ जमीन और बादलों पर।
किस तरह का होता मैं यदि बड़ा होता
डर लगता है सोचते हुए
उनकी तरह जो आज टेढ़ी नजर से देखते हैं
इस नरम समय की तरफ
और संगीत की धुनों से अपेक्षा करते हैं
कि स्वर ऊँचें हों और शब्द दृढ़।