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प्रियतम! मीठी नित याद तुम्हारी आती / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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प्रियतम! मीठी नित याद तुम्हारी आती।
मैं पलभर तुमको कभी बिसार न पाती॥
जगनेमें सपनेमें तुम, मेरे प्यारे,
हो होते कभी न मुझसे पलभर न्यारे॥
दे दर्शन मुझको सदा परम सुख देते।
कर मीठी रसकी बातें, दुख हर लेते॥
देते रहते दिन-रात स्पर्श-सुख भारी।
निज हृदय खोल, कह देते मनकी सारी॥
यों मिलनेपर भी मिलनेकी अभिलाषा।
रहती बढ़ती ही नित्य मिलनकी आशा॥
नित मिलनेपर भी पल न दूर स्मृति होती।
वह सदा तुम्हींमें प्यारे! जगती-सोती॥