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सुमधुर स्मृति में होता नित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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सुमधुर स्मृति में होता नित ही मधुर मिलन-दर्शन-सुस्पर्श।
मधुर-मनोहर चलती चर्चा, चारु-मधुर उपजाती हर्ष॥
मधुर भाव, शुचि चाव मधुर, माधुर्य नित्य पाता उत्कर्ष।
मधुर नित्य निर्मल रसमय में रहता नहीं अमर्ष-विमर्श॥