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मात खाकर ज़िन्दगी होगी बसर / देवी नांगरानी

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मात खाकर ज़िन्दगी होगी बसर सोचा न था
ज़हर पी पी कर ही बस होगी गुज़र सोचा न था

क़ाफ़िले का शोर लेकर साथ निकली थी, मगर
ख़ामुशी में तय मेरा होगा सफर सोचा न था

ख़ून आँखों से बहेगा यूँ किसी की याद में
बद्दुआ का इस क़दर होगा असर सोचा न था

शम्अ के जलने की, बुझने की रवायत है, मगर
दिल जलेगा यूँ मेरा शामो-सहर सोचा न था

मैने तो बाँटा था अमृत हर किसी को शौक से
ज़हर वो मुझको पिलायेगा मगर सोचा न था

हम ज़रा हंस-हंस के बोले थे सितारों से मगर
चाँद को होगी जलन ये देखकर, सोचा न था