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दिल जलाने की दिल दुखाने की / देवी नांगरानी

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दिल जलाने की, दिल दुखाने की
ये तो फ़ितरत है इस ज़माने की

दिल के तहख़ाने में मची हलचल
जो ख़बर आई उसके आने की

जैसे बिजली गिरी मेरे दिल पर
याद जब आई आशियाने की

दोस्त दुश्मन बने हैं पल भर में
नौबत आई जो आज़माने की

मिट गए सारे नक़्श यादों के
अब तो आदत हुई भुलाने की

कितनी वीरानियां हुई आबाद
जब हिली नींव इक घराने की

चहरा पढ़ना भी ‘देवी’ आता है
कुछ ज़रूरत नहीं बताने की