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नित्य नयी क्षमता है बढ़ती / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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नित्य नयी क्षमता है बढ़ती, नित्य नया उल्लास अथाह।
नित्य नयी आकांक्षा अविरल, बढ़ता नित्य नया उत्साह॥
दोनों दोनों के शुचि आत्मा, दोनों दोनोंके श्रृंगार।
दोनों दोनों के नित प्रेमी, दोनों दोनोंके आधार॥
दोनों दोनों के नित संगी, दोनों दोनोंके हिय-हार।
दोनों दोनों से मिल भूले भुक्ति-मुक्ति, अग-जग संसार॥