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जीवन अभी चलेगा / अरुणा राय
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धूल-धुएं के गुबार...
और भीड़ भरी सडक
के शोर-शराबे के बीच
जब चार हथेलियां
मिलीं
और दो जोड़ी आंखें
चमकीं
तो पेड़ के पीछे से
छुपकर झांकता
चौदहवीं का चांद
अवाक रह गया
और तारों की टिमटिमाती रौशनियां
फुसफुसायीं
कि सारी जद्दोजहद के बीच
जीवन
अभी चलेगा!