सूरा एक न आँखिए , जो लड़नि दला में जांय
सूरा सोई ‘नानका’ जो मरूण हुकुम रजाए
हिरदे जिनके हरि बसे, ते जन कहियहि सूर
कही न जाई ‘नानका’ पूरि रह्यौ भरपूर
मन की दुबिधा ना मिटे, भक्ति कहाँ के होय
कउड़ी बदले 'नानका', जन्म चल्या नर खोय
सूरा एक न आँखिए , जो लड़नि दला में जांय
सूरा सोई ‘नानका’ जो मरूण हुकुम रजाए
हिरदे जिनके हरि बसे, ते जन कहियहि सूर
कही न जाई ‘नानका’ पूरि रह्यौ भरपूर
मन की दुबिधा ना मिटे, भक्ति कहाँ के होय
कउड़ी बदले 'नानका', जन्म चल्या नर खोय