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काटरक परिणाम / कालीकान्त झा ‘बूच’

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रहतऽ की तिलकक ई पाय हौ,
कऽ लय बरू फुटानी
तोरो कुमारि चारि दाय हौ,
मोन पड़ि जयतह नानी
बेटा आ बहु केयो काजो ने देतऽ,
कुन्हरलि पुतोहु सभ कुन्नह सधेतऽ,
पिविहऽ मिरचाई देल चाय हौ,
कऽ लय बरू फुटानी
जहिया सँ सेज तेजि उठलो ने जेतऽ,
पोते तोहर नाचि-नाचि खिसियेतऽ,
ढेपा दऽ कहतऽ ई लाय हौ,
कऽ लय बरू फुटानी
टूअर कुकुर बूझि कौरा पठेतऽ,
तऽर तेल ऊपर सँ नोनों ने देतऽ,
दाँत च्यारि मरि जयवह भाय हौ,
कऽ लय बरू फुटानी
बेटा बिकायल छह पिण्ड कोना देतऽ,
देबऽ जौं करतऽ तऽ पैठे ने हेतऽ
प्रेते बनि रहिहऽ ढोरहाई हौ,
कऽ लय बरू फुटानी
छोटका छह बाँचल हौ आबो तऽ चेतऽ,
एहि पापे लोक परलोक दुहु जेतऽ,
समधिन सँ प्रेमक सगाय हौ,
कऽ लय बरू फुटानी
तोरो...