भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उत्तर / शमशेर बहादुर सिंह

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:07, 12 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहुत अधिक, बहुत अधिक तुम्‍हें याद करता मैं रहा;
यह भी था कारण जो पत्र मैं लिख नहीं सका;
लिख नहीं सका, बस।
भावों का भार उन शब्‍दों से उठ नहीं सका,
लिखे-पढ़े जाते जो पत्रों में।
अन्‍य रूप शब्‍दों को देने का कौन अधिकार
आपके मेरे संबंध ने कभी मुझे दिया?
अतः विवश रहा, विवश रहा।
पढ़ लेते आप? यदि लिखता मैं
बार-बार-बार-बार- केवल वह एक नाम,
एक नाम, एक नाम ...
आह !