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श्री वल्लभ गुन गाऊँ / गोविन्ददास
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श्री वल्लभ श्री वल्लभ श्री वल्लभ गुन गाऊँ।
निरखत सुन्दर स्वरूप बरखत हरिरस अनूप द्विजवर कुल भूप सदा बल बल बल जाऊँ॥१॥
अगम निगन कहत जाहि सुरनर मुनि लहें न ताहि सकल कला गुन निधान पूरन उर लाऊँ।
गोविन्द प्रभु नन्दनन्दन श्री लछमन सुत जगत वंदन सुमिरत त्रयताप हरत चरन रेनु पाऊँ॥२॥