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आल्हा ऊदल / भाग 17 / भोजपुरी

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निकलल पलटन लहरा के बाबू मेघ झरा झर लाग
झाड़ बरुदन के लड़वैया साढ़े साठ लाख असवार
चलल जे पलटन है लहरा के सिब मंदिर के लेल तकाय
बावन दुआरी के सिब मंदिर बावनों पर तोप देल धरवाय
रुदल रुदल घिराइल सिव मंदिर माँ
जरल करेजा है रुदल के घोड़ा पर फाँद भेल असवार
ताल जो मारे सिब मंदिर में बावनों मंदिर बिरल भहराय
बोलल राजा लहरा सिंह रुदल कहना मानव हमार
डेरा फेर दव अब एजनी से तोहर महाकाल कट जाय
नाहिं मानल बघ रुदल बाबू सूनीं धरम के बात
बातन बातन में झगड़ा भैल बातन बढ़ल राड़
बातक झगड़ा अब के मेटे झड़ चले लागत तरवार
तड़तड़ तड़तड़ लेगा बोले जिन्ह के खटर खटर तरवार
सनसन सनसन गोली उड़ गैल दुइ दल कान दिलह नाहिं जाय
झाड़ बरुदन के लड़वैया सै साठ गिरल असवार
जैसे बढ़इ बन के कतरे तैसे कूदि काटत बाय
आधा गंगा जल बहि गैल आधा बहल रकत के धार
ऐदल ऊपर पैदल गिर गैल असवार ऊपर असवार
ढलिया बहि बहि कछुआ होय गैल तरुअरिया भैल धरियार
छूरि कटारी सिंधरी होय गैल धै धै तिलंगा खाय
नब्बे हजारन के पलटन में दसे तिलंगा बाँचल बाय