Last modified on 18 मई 2014, at 18:00

साओनर साज ने भादवक दही / विद्यापति

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:00, 18 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विद्यापति |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} {{KKCatMaithiliR...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

साओनर साज ने भादवक दही।
आसिनक ओस ने कार्तिकक मही।।
अगहनक जीर ने पुषक धनी।
माधक मीसरी ने फागुनक चना।।
चैतक गुड़ ने बैसाखक तेल।
जेठक चलब ने अषाढ़क बेल।।
कहे धन्वन्तरि अहि सबसँ बचे।
त वैदराज काहे पुरिया रचे।।