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सेन कामकी लायो / रसिक दास
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सेन कामकी लायो,सो सावन आयो।
चल सखी झूलिये सुरंग हिंडोरे, कीजे श्याम मन भायो॥१॥
हाव भाव के खंभ मनोहर, कचघन गगन सुहायो।
काम नृपति वृषभान नंदिनी, रसिक रायवर पायो॥२॥