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सबसे अहम बात यह है-1 / शशिप्रकाश

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अपनी जड़ों को कोसता नहीं
उखड़ा हुआ चिनार का दरख्त ।
सरू नहीं गाते शोकगीत ।
अपने बलशाली होने का
दम नहीं भरता बलूत ।

घर बैठने के बाद ही
क्रान्तिकारी लिखते हैं
आत्मकथाएँ
और आत्मा की पराजय के बाद
वे बन जाते हैं
राजनीतिक सलाहकार ।