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किसने झलक पर्दे से दिखा दी / नज़ीर बनारसी

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किसने झलक पर्दे से दिखा दी।
आँख ने देखा दिल ने दुआ दी।।

होश की दौलत उनपे गवां दी।
कीमते जलवा हमने चुका दी।।

रात इक ऐसी रौशनी देखी।
मारे खुशी के शम्मा बुझा दी।।

तुमने दिखाए ऐसे सपने।
नींद में सारी उम्र गवां दी।।

पूछें हैं वह भी वजहे–खमोशी।
जिसके लबों पर मोहर लगा दी।।

उनको न दे इल्ज़ाम ज़माना।
खुद मेरे दिल ने मुझको दगा दी।।

आँच नज़ीर आ जाए न उन पर।
दिल की लगी ने आग लगा दी।।