भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रभु मेरे प्रीतम प्रान पियारे / नानकदेव
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:51, 22 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुरु नानकदेव |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)
प्रभु मेरे प्रीतम प्रान पियारे।
प्रेम-भगति निज नाम दीजिये, द्याल अनुग्रह धारे॥
सुमिरौं चरन तिहारे प्रीतम, ह्रदै तिहारी आसा।
संत जनाँपै करौं बेनती, मन दरसन कौ प्यासा॥
बिछुरत मरन, जीवन हरि मिलते, जनको दरसन दीजै।
नाम अधार, जीवन-धन नानक प्रभु मेरे किरपा कीजै॥