भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पथ पर चलते रहो निरन्तर / त्रिलोचन

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:52, 12 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन |संग्रह=धरती / त्रिलोचन }} पथ पर<br> चलते रहो निर...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पथ पर
चलते रहो निरन्तर
सूनापन हो
या निर्जन हो
पथ पुकारता है
गत-स्वन हो
पथिक,
चरण-ध्वनि से
दो उत्तर
पथ पर
चलते रहो निरन्तर