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दिखती कोन्या वा होळी ना पहलम आळे ढंग सुणो / सत्यवीर नाहड़िया

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दिखती कोन्या वा होळी ना पहलम आळे ढंग सुणो
होळी तो ईब हो ली लोगो बचर्या सै हुडदंग सुणो
 
टेम पुराणा याद करो, होळी गाया करते
ढोल नगाड़े खूब बजाकै रंग जमाया करते
डांडा गड़ते ऊंची होळी बहोत बणाया करते
बीर मरद अर मरद बीर के सांग रचाया करते
घणे प्यार तै लाया करते आपस म्हं फेर रंग सुणो
 
देख देख कै रंग ढंग सारे हारूं होळी म्ह
कुरे किसनै छोड्डूं किसनै मारूं होळी म्हं
चीज भतेरी इब आग्यी बाजार होळी म्हं
धुत्त कई सुण होर्ये पी कै दारै होळी म्ह
के हाल संवारूं होळी म्हं गोबर गार्या की जंग सुणो
 
महीना पहलम ढाळ बिड़कले रोज बणाया करती
रात चांदनी चौक बगड़ म्हं होळी गाया करती
बूढ़ी ठेरी नाच नाच कड़ तोड़ बगाया करती
ओढ़ पीळीया सज कै होळी पूजण जाया करती
देवर नै वा नुहाया करती करकै भाभी तंग सुणो
 
छोड़ आपणे रीत गीत पच्छवा अपनावण लाग्ये
पी कै होर्ये धुत्त घणे वैं गाळ सुणावण लाग्ये
भुंडे भुंडे फिल्मी गाणे ईब बजावण लाग्ये
रंग की जागहां तेल पेंट अर गार्या लावण लाग्ये
कह नाहडिय़ा मिटावण लाग्ये भाईचारा संग सुणो