गुरु के वचन अमियरस, धाइ न पीयेउ जेहि।
बहु-शास्त्रार्थ-मरुस्थले, तृषितै मरिबो तेहि।
चित्त अचित्तहु परिहरहु, तिमि रहहू जिमि बाल।
गुरुवचने दृढ़ भक्ति करु, होइ है सहज उलास।
गुरु के वचन अमियरस, धाइ न पीयेउ जेहि।
बहु-शास्त्रार्थ-मरुस्थले, तृषितै मरिबो तेहि।
चित्त अचित्तहु परिहरहु, तिमि रहहू जिमि बाल।
गुरुवचने दृढ़ भक्ति करु, होइ है सहज उलास।