भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जयति जयति वन्दन हर की / आरती
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:59, 29 मई 2014 का अवतरण
जयति जयति वन्दन हर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की
भक्ति योग रस अवतार अभिराम
करें निगमागम समन्वय ललाम
सिय पिय नाम रूप लीला गुण धाम
बाँट रहे प्रेम निष्काम बिन दाम
हो रही सफल काया नारी नर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की
गुरु पद नख मणि चन्द्रिका प्रकाश
जाके उर बसे ताके मोह तम नाश
जाके माथ नाथ तव हाथ कर वास
ताके होए माया मोह सब ही विनाश
पावे रति गति मति सिया वर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की