भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बरसगाँठि बृषभानु-कुँवरि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:56, 31 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
बरसगाँठि बृषभानु-कुँवारि की कीरति गीत गवाए जू।
मंगलचार कराए बहु बिधि, घंटा-संख बजाए जू॥
भाँति-भाँति के असन-बसन-भूषन बहुमोल मँगाए जू।
बिप्रन्हि न्यौति, जिमाय भली बिधि, तिन कौं दान कराए जू॥
नंद-जसोदा-रोहिनि दाऊ-कान्हा सँग लै आए जू।
गोपी-गोप-सहित सब के मन अति आनंद भराए जू॥
स्वागत करि, बृषभानु-नृपति नैं सादर घर पधराए जू।
कीरति-जसुमति मिलीं प्रेम सौं, आनँद उर न समाए जू॥
कीरति कान्हहि, जसुमति, कुँवारिहि लै निज गोद खिलाए जू।
मोद भरी नारी दुहुँ दिसि की हँसि-हँसि मंगल गाए जू॥