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वंदावे कवणासी निंदावें कवणासी / गोरा कुंभार
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वंदावे कवणासी निंदावें कवणासी। लिंपावें गगनासी कवण लिंपी॥ १॥
नाहीं जया रूप नाहीं जया ठाव। तेंचि व्यालें सर्व सांगतसे॥ २॥
जीवनीं चंद्रबिंब विंबलें पैं साचें। परि नाहीं तें नितंबिलें जवळें जेवीं॥ ३॥
म्हणे गोरा कुंभार नामया जीवलगा। आलिंगन देगा मायबापा॥ ४॥