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श्रवणें नयन जिव्हा शुद्ध करी / गोरा कुंभार
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श्रवणें नयन जिव्हा शुद्ध करी। हरीनामें सोहंकारी सर्व काम॥ १॥
मग तुझा तूंचि दिवटा होसीगा सुभटा। मग जासील वैकुंठा हरिपाठें॥ २॥
रामनामें गणिका तरली अधम। अजामिळ परम चांडाळ दोषी॥ ३॥
म्हणे गोरा कुंभार विठ्ठल मंत्र सोपा। एक वेळा बापा उच्चारीरे॥ ४॥