Last modified on 1 जून 2014, at 12:58

विकास / रेखा चमोली

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:58, 1 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा चमोली |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 हमने
खारे समुद्र से
बनाया नमक
पकड़ी मछलियां
गये सुदूर यात्राओं पर
बढ़ाये व्यापार

हमने
मीठी नदी से
बुझायी प्यास
भरे कोठार

जब हमारा
गला हो गया तर
पेट गया भर

तब हमने
डूबाये जिन्दा गाँव
उजाड़े षहर
निचोड़े धारे-पनियारे
किषोर पेड़ों की लाषों से
पाट दी आरा मषीनें

अब
हमारे पास है
100 :वाटरप्युरिफाइड
उनके पास
लम्बी कतारों में खाली गागरें
हमारे पास जगमग षहर
उनके पास डूबे पुल

हमारे लिए नदी
भूख-प्यास से
ऊर्जा में
रूपान्तरित हो चुकी थी
हमने कहा
विकास के विरोधियों को
छोड़ दिया जाए
उनके हाल पर।