भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हे पिंजरे की ये मैना / भजन

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:47, 1 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKDharmikRachna}} {{KKCatBhajan}} <poem> हे पिंजरे की ये मैना, भजन कर ले ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अष्टक   ♦   आरतियाँ   ♦   चालीसा   ♦   भजन   ♦   प्रार्थनाएँ   ♦   श्लोक

हे पिंजरे की ये मैना, भजन कर ले राम का,
भजन कर ले राम का, भजन कर ले श्याम का॥टेर॥
राम नाम अनमोल रतन है, राम राम तूँ कहना,
भवसागर से पार होवे तो, नाम हरिका लेना॥१॥
भाई-बन्धु कुटुम्ब कबीलो, कोई किसी को है ना,
मतलब का सब खेल जगत् में, नहीं किसी को रहना॥२॥
कोड़ी-कोड़ी माया जोड़ी, कभी किसी को देई ना,
सब सम्पत्ति तेरी यहीं रहेगी, नहीं कछु लेना-देना॥३॥