भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राम कहो राम कहो राम / भजन

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:13, 2 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKDharmikRachna}} {{KKCatBhajan}} <poem> राम कहो राम कहो राम कहो बावरे।...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अष्टक   ♦   आरतियाँ   ♦   चालीसा   ♦   भजन   ♦   प्रार्थनाएँ   ♦   श्लोक

राम कहो राम कहो राम कहो बावरे।
अवसर ना भूल प्यारे भलो पायो दाँव रे॥टेर॥

जिन तोकूँ तन दीन्हो, ताको नहीं भजन कीन्हों।
जनम सिरानो जात, लोहेके सो तावो॥१॥

रामजीको गाय-गाय, रामजी रिझाय रे।
रामजीके चरण-कमल, चित्त माँहि लाय रे॥२॥

कहत मलूकदास छोड़ दे तूँ झूठी आस।
आनन्द मगन होय, हरिगुण गाय रे॥३॥